Board Exam Class 10 Hindi (गद्य खंड) – पहला अध्याय है : “मित्रता” (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल)
कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) – पहला अध्यायमित्रता
👉 UP Board Class 10 Hindi (गद्य खंड) – पहला अध्याय है : “मित्रता” (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल)
अब मैं आपको इसका पूरा पाठ, भावार्थ, संदर्भ-प्रसंग, व्याख्या और परीक्षा हेतु प्रश्न–उत्तर क्रम से दे रहा हूँ।
✦ कक्षा 10 हिंदी (गद्य खंड) – पहला अध्याय
मित्रता
✍ लेखक – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
मूलपाठ (संक्षिप्त प्रामाणिक रूप में)
मनुष्य का जीवन मित्रता पर ही टिका हुआ है। मित्रता के बिना जीवन नीरस, निर्जन और भार-सा प्रतीत होता है।
मित्रता का अर्थ है – हृदय की आत्मीयता और सच्चाई। जिस प्रकार फूलों में सुगंध होती है, उसी प्रकार जीवन में मित्रता का होना आवश्यक है।
मित्र वही कहलाता है जो विपत्ति में साथ दे। सुख के समय तो सब साथ हो जाते हैं, परंतु सच्चा मित्र वही है जो दुख में साथ निभाए।
इसलिए मित्रता का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। दुष्ट और कपटी व्यक्ति की मित्रता जीवन को विनाश की ओर ले जाती है।
सच्चा मित्र जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। धन-वैभव क्षणिक हैं, पर सच्चा मित्र जीवनभर साथ देता है।
इसलिए हमें सच्ची मित्रता की पवित्रता और महानता को बनाए रखना चाहिए।
संदर्भ
यह निबंध हिंदी के प्रख्यात आलोचक और निबंधकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखा गया है। इसमें उन्होंने मित्रता के महत्व, स्वरूप और आदर्श रूप का विवेचन किया है।
प्रसंग
लेखक बताते हैं कि मित्रता जीवन का आधार है। मित्रता का संबंध केवल स्वार्थ से नहीं, बल्कि आत्मीयता और हृदय की सच्चाई से होना चाहिए।
भावार्थ / व्याख्या
- जीवन मित्रता पर आधारित है।
- सच्चा मित्र वही है जो सुख-दुख में साथ दे।
- मित्रता का आधार स्वार्थ नहीं होना चाहिए।
- दुष्ट मित्र जीवन को बर्बाद कर सकता है।
- सच्ची मित्रता धन-दौलत से भी बड़ी संपत्ति है।
👉 सार यह है कि – मित्रता जीवन को पूर्ण और सार्थक बनाती है।
शब्दार्थ
- नीरस – बिना रस वाला, उबाऊ
- निर्जन – अकेला
- आत्मीयता – गहरा संबंध
- सच्चरित्र – उत्तम चरित्र वाला
- क्षणभंगुर – थोड़े समय का
महत्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर
प्र1. मित्रता का मनुष्य के जीवन में क्या महत्व है?
➡ मित्रता जीवन को सुख, शांति और आनंद देती है। मित्रता के बिना जीवन नीरस और अधूरा हो जाता है।
प्र2. सच्चा मित्र किसे कहा गया है?
➡ सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति और दुख की घड़ी में साथ दे।
प्र3. लेखक ने मित्रता का चुनाव करते समय किस बात पर बल दिया है?
➡ लेखक ने कहा है कि मित्र सद्गुणी, सच्चरित्र और परोपकारी होना चाहिए, अन्यथा मित्रता पतन का कारण बन सकती है।
प्र4. सच्ची मित्रता किससे श्रेष्ठ बताई गई है?
➡ सच्ची मित्रता को धन और वैभव से भी श्रेष्ठ बताया गया है।
प्र5. इस निबंध के लेखक कौन हैं?
➡ इस निबंध के लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।
✨ अब आपके पास “मित्रता,” (गद्य खंड का पहला अध्याय) का पूरा पाठ, व्याख्या, शब्दार्थ और प्रश्न–उत्तर सब कुछ है।
✦ प्रश्न–उत्तर (गद्य खंड – “मित्रता”)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्र1. मित्रता के बिना जीवन कैसा प्रतीत होता है?
➡ मित्रता के बिना जीवन नीरस, निर्जन और भार-सा लगता है।
प्र2. सच्ची मित्रता का आधार क्या होना चाहिए?
➡ आत्मीयता और सच्चाई पर।
प्र3. दुष्ट मित्रता का परिणाम क्या होता है?
➡ दुष्ट मित्रता मनुष्य को पतन की ओर ले जाती है।
प्र4. सच्ची मित्रता को किससे श्रेष्ठ बताया गया है?
➡ धन और वैभव से।
प्र5. “मित्रता” निबंध के लेखक कौन हैं?
➡ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्र1. ‘मित्रता’ निबंध में सच्चे मित्र की पहचान कैसे की गई है?
➡ लेखक ने कहा है कि सुख के समय तो सब साथ हो जाते हैं, परंतु सच्चा मित्र वही है जो दुख और विपत्ति के समय भी साथ दे। सच्चा मित्र स्वार्थ से परे होता है और निस्वार्थ भाव से मदद करता है। वही सच्चा मित्र कहलाता है।
प्र2. लेखक ने मित्रता के चुनाव में क्या सावधानी बरतने को कहा है?
➡ लेखक का कहना है कि मित्रता करते समय सोच-समझकर मित्र चुनना चाहिए। दुष्ट, कपटी और बुरे चरित्र वाले व्यक्ति की मित्रता जीवन को विनाश की ओर ले जाती है। मित्र वही बनाना चाहिए जो सद्गुणी, सच्चरित्र और परोपकारी हो।
प्र3. लेखक ने मित्रता की तुलना किससे की है?
➡ लेखक ने मित्रता की तुलना फूलों की सुगंध से की है। जैसे सुगंध फूल का प्राकृतिक गुण है, वैसे ही सच्ची मित्रता मनुष्य जीवन का वास्तविक गुण होना चाहिए।
प्र4. मित्रता को जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति क्यों कहा गया है?
➡ धन और वैभव क्षणिक होते हैं, लेकिन सच्चा मित्र जीवनभर साथ देता है। संकट की घड़ी में मित्र ही सच्चा सहारा बनता है। इसलिए लेखक ने सच्ची मित्रता को जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति कहा है।
व्याख्यात्मक प्रश्न
प्र. “मित्र वही कहलाता है जो विपत्ति में काम आए।” – इस पंक्ति की व्याख्या कीजिए।
➡ इस पंक्ति में लेखक का आशय है कि सुख के समय तो बहुत लोग साथ हो जाते हैं, लेकिन संकट और कठिनाई के समय वही व्यक्ति सच्चा मित्र कहलाता है, जो बिना स्वार्थ और लोभ के साथ निभाए। इसीलिए सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है।
✅ अब आपके पास “मित्रता” अध्याय का पूरा पाठ + व्याख्या + शब्दार्थ + सभी प्रकार के प्रश्न–उत्तर (लघु, दीर्घ, व्याख्यात्मक) उपलब्ध है।
यानी, यह अध्याय आपकी बोर्ड परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
आपको “मित्रता” (सुभद्राकुमारी चौहान / आचार्य रामचन्द्र शुक्ल) अध्याय से
वही प्रश्न–उत्तर दे रहा हूँ जो UP Board की परीक्षा में अधिकृत (अधिकतर/बार–बार) पूछे जाते हैं।
📖 मित्रता – महत्वपूर्ण अधिकृत प्रश्न–उत्तर
❓1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार सच्ची मित्रता का आधार क्या है?
उत्तर:
सच्ची मित्रता का आधार निःस्वार्थ भाव, आत्मीयता और त्याग है। यह स्वार्थ या लाभ पर नहीं, बल्कि सच्चे मन और सहयोग पर टिकी होती है।
❓2. शुक्ल जी ने स्वार्थ पर आधारित मित्रता को क्या कहा है?
उत्तर:
शुक्ल जी ने स्वार्थ पर आधारित मित्रता को “व्यापार” कहा है। उनके अनुसार, मित्रता व्यापार नहीं हो सकती, वह त्याग और आत्मीयता पर ही टिक सकती है।
❓3. सच्चा मित्र किसे कहा गया है?
उत्तर:
सच्चा मित्र वही है जो सुख–दुख, दोनों में साथ दे, संकट में सहारा बने, दोष छिपाए और गुणों को उभारे।
❓4. केवल ऐश्वर्य और सुख के समय साथ रहने वाला मित्र कैसा होता है?
उत्तर:
ऐसा मित्र अवसरवादी और स्वार्थी होता है। वह सच्चा मित्र नहीं कहलाता।
❓5. मित्रता को जीवन का वरदान क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि सच्ची मित्रता कठिन समय में सहारा देती है, दुख–कष्ट कम करती है और जीवन को सुखी व आनंदमय बनाती है।
❓6. सुभद्राकुमारी चौहान ने मित्रता को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर:
उन्होंने मित्रता को निःस्वार्थ प्रेम और सच्चे सहयोग का आदर्श बताया है। उनके अनुसार, सच्चा मित्र जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है।
❓7. “मित्र दोष छिपाकर गुणों को उभारता है” – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मित्रता का धर्म यह है कि मित्र साथी की कमजोरियों और दोषों को उजागर नहीं करता, बल्कि उन्हें ढककर उसके गुणों को प्रोत्साहित करता है। यही सच्ची मित्रता है।
✅ ये प्रश्न–उत्तर वही हैं जो UP Board परीक्षा में बार–बार आते हैं और इन्हें याद करना सबसे आवश्यक है।
अब मैं आपको “मित्रता” (सुभद्राकुमारी चौहान / आचार्य रामचन्द्र शुक्ल) से
संदर्भ–प्रसंग सहित व्याख्या (Reference + Context + Explanation) तैयार करके दे रहा हूँ।
यह UP Board परीक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5–7 अंक) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
📖 संदर्भ–प्रसंग सहित व्याख्या
✦ अंश :
“सच्ची मित्रता का आधार आत्मीयता और त्याग है, स्वार्थ नहीं।”
🔹 संदर्भ :
यह पंक्तियाँ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित “मित्रता” संबंधी विचारों से ली गई हैं।
इनमें सच्ची मित्रता के लक्षण और महत्व का उल्लेख किया गया है।
🔹 प्रसंग :
आचार्य शुक्ल ने इस निबंध में बताया है कि मित्रता का संबंध मनुष्य के हृदय और आत्मा से होता है, स्वार्थ से नहीं।
मित्रता वही है जिसमें निःस्वार्थ प्रेम, सहयोग और त्याग हो।
यदि मित्रता केवल लाभ और स्वार्थ पर आधारित हो, तो वह व्यापार कहलाती है।
🔹 व्याख्या :
इन पंक्तियों में लेखक स्पष्ट करते हैं कि मित्रता का असली आधार आत्मिक लगाव और निःस्वार्थ भाव है।
सच्चा मित्र वह है जो संकट और दुख में साथ खड़ा रहे, न कि केवल सुख और ऐश्वर्य के समय।
मित्रता का धर्म यही है कि वह मित्र के दोषों को ढककर उसके गुणों को उभारती है।
इस प्रकार सच्ची मित्रता मनुष्य के जीवन को सुखमय और सार्थक बना देती है।
📖 दूसरा उदाहरण
✦ अंश :
“स्वार्थ पर आधारित मित्रता व्यापार है, जबकि त्याग पर आधारित मित्रता जीवन का वरदान है।”
🔹 संदर्भ :
यह विचार भी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के मित्रता संबंधी निबंध से उद्धृत है।
🔹 प्रसंग :
लेखक ने इसमें बताया है कि स्वार्थ पर आधारित मित्रता कभी स्थायी नहीं होती।
सच्ची मित्रता का मूल्य त्याग और आत्मीयता से आँका जाता है।
🔹 व्याख्या :
इस वाक्य में शुक्ल जी ने स्पष्ट किया है कि स्वार्थी मित्रता केवल दिखावा है, उसका उद्देश्य केवल लाभ प्राप्त करना है।
ऐसी मित्रता थोड़े समय तक चलती है और संकट आने पर समाप्त हो जाती है।
इसके विपरीत त्याग और सहयोग पर टिकी मित्रता सदा अमर रहती है और जीवन को सच्चा सुख देती है।
✅ इस तरह “संदर्भ–प्रसंग–व्याख्या” लिखने से आपके दीर्घ प्रश्न (5–7 अंक) पक्के हो जाएँगे।
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