Board Exam 2026 अध्याय 4: भारतीय संस्कृति (गद्य-खण्ड) — सार एवं मुख्य बिंदु
✍️ लेखक: पूनम कुमारी
ब्लॉग: Board exam 2025 ki Taiyari
प्रकाशन तिथि ,15सितंबर 2025
यह रहा अध्याय 4 का सार और मुख्य बिंदु UP Board Class 10 हिंदी से — आप बताइए किस संस्करण (गद्य-खण्ड, काव्य-खण्ड, स्पर्श, आदि)
अध्याय 4: भारतीय संस्कृति (गद्य-खण्ड) — सार एवं मुख्य बिंदु
लेखक का उद्देश्य
लेखक भारतीय संस्कृति के अमर-तत्त्वों (मूल्यों) की चर्चा करता है — जैसे अहिंसा, सत्य, त्याग, प्रेम, नैतिक चेतना — और बताता है कि ये तत्त्व इतने दृढ़ हैं कि अनेक आघातों, आक्रमणों, समय की कठिनाइयों के बावजूद हमारी संस्कृति को जीवित और स्थिर बनाए हुए हैं।
मुख्य विचार
- विविधता में एकता — भारत में अनेक भाषाएँ, अनेक धर्म, विभिन्न सभ्यताएँ हैं, पर एकता बनी हुई है।
- अहिंसा और त्याग — ये दो गुण संस्कृति की आत्मा हैं। यदि स्वार्थ या भोग की भावना प्रधान हो जाए, तो संस्कृति प्रभावित होती है।
- स्वतंत्रता का जिम्मेदारी — आज हम स्वतंत्र हैं, पर इसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो, इस बात की चेतना होनी चाहिए।
- भारतीय संस्कृति की समन्वय शक्ति — विभिन्न भाषाएँ, कलाएँ, विचारधाराएँ हैं; उसके बावजूद, भारतीय संस्कृति को एकता बनाए रखने की शक्ति मिली है।
- नैतिक चेतना — सिर्फ शक्ति, विज्ञान या भौतिक प्रगति ही नहीं, पर एक मजबूत नैतिक चेतना होनी चाहिए जो समाज को दिशा दे।
कुछ सुंदर उद्धरण / उदाहरण
- “भारतीय संस्कृतिरूपी विशाल सागर में आकर गिरने वाली इन नदियों में … अमृत के समान प्रवाहित होता रहता है।” — यहाँ भारतीय संस्कृति की विशालता और शुद्धता का वर्णन है।
- महात्मा गांधी का रूप एक मूर्त उदाहरण है सत्य और अहिंसा के अमर-तत्त्व का।
UP Board Class 10 हिंदी – गद्य खण्ड – अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” के महत्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर दे रही हूँ, जो परीक्षा की दृष्टि से भी उपयोगी रहेंगे।
✦ अध्याय 4 – भारतीय संस्कृति (गद्य खण्ड)
लेखक – रामधारी सिंह दिनकर
❖ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
1. भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ हैं –
- विविधता में एकता
- अहिंसा, सत्य और करुणा पर आधारित जीवन मूल्य
- सहिष्णुता और समन्वय की भावना
- त्याग और परोपकार की भावना
- आत्मिक उन्नति पर बल देना
2. भारतीय संस्कृति को “अमर संस्कृति” क्यों कहा गया है?
उत्तर: भारतीय संस्कृति को अमर कहा गया है क्योंकि यह अनेक आक्रमणों, विदेशी प्रभावों और कठिनाइयों के बाद भी जीवित रही। इसकी जड़ें नैतिकता, प्रेम, करुणा और अध्यात्म में इतनी गहरी हैं कि कोई भी शक्ति इसे समाप्त नहीं कर सकी।
3. भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी शक्ति क्या है?
उत्तर: भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी शक्ति समन्वय की क्षमता है। यह विभिन्न धर्मों, भाषाओं, विचारों और आचारों को अपने में समेटकर भी एकता बनाए रखती है।
4. लेखक ने भारतीय संस्कृति के किन अमर तत्त्वों का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखक ने सत्य, अहिंसा, प्रेम, त्याग, करुणा और आत्मिक उन्नति को भारतीय संस्कृति के अमर तत्त्व बताया है।
5. स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर: स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम अपनी स्वतंत्रता का सही उपयोग करें, और स्वार्थ, भोग और दिखावे के मोह में फँसकर अपने सांस्कृतिक मूल्यों को न भूलें।
6. भारतीय संस्कृति में “अहिंसा” का क्या महत्व है?
उत्तर: अहिंसा भारतीय संस्कृति की आत्मा है। महात्मा गाँधी ने इसे जीवन में अपनाकर दुनिया को दिखाया कि बिना हिंसा किए भी सत्य और न्याय की रक्षा की जा सकती है।
7. भारतीय संस्कृति को समुद्र से क्यों तुलना की गई है?
उत्तर: जैसे अनेक नदियाँ समुद्र में मिलकर उसकी विशालता को और बढ़ा देती हैं, वैसे ही अनेक धर्म, भाषाएँ, आचार और विचार भारतीय संस्कृति में मिलकर इसे और अधिक विशाल एवं समृद्ध बनाते हैं।
8. संस्कृति और सभ्यता में क्या अंतर है?
उत्तर:
- सभ्यता बाहरी रूप (वेशभूषा, रहन-सहन, साधन, साधन-सुविधाएँ) पर आधारित है।
- संस्कृति मनुष्य के भीतर के गुणों (सत्य, करुणा, दया, सहिष्णुता, परोपकार, ईमानदारी) पर आधारित है।
9. लेखक के अनुसार भारत की आत्मा कहाँ बसती है?
उत्तर: लेखक के अनुसार भारत की आत्मा उसके गाँवों, किसानों, संतों और साधु-महात्माओं के जीवन मूल्यों में बसती है।
10. इस पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस पाठ का मुख्य संदेश यह है कि भारतीय संस्कृति की शक्ति उसके नैतिक मूल्यों, अध्यात्म और समन्वय में निहित है। हमें अपनी स्वतंत्रता और आधुनिक प्रगति के साथ इन मूल्यों को जीवित रखना चाहिए।
👉 क्या आप चाहेंगे कि मैं इसी अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” का पूरा शब्दशः भावार्थ + संक्षेप (Summary) भी आसान भाषा में दूँ ताकि याद करने में आसानी हो?
UP Board Class 10 हिंदी – गद्य खण्ड – अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” का पूरा शब्दशः भावार्थ और संक्षेप (Summary) आसान भाषा में दे रही हूँ।
✦ अध्याय 4 – भारतीय संस्कृति
लेखक – रामधारी सिंह दिनकर
❖ शब्दशः भावार्थ (आसान भाषा में)
लेखक बताते हैं कि भारतीय संस्कृति बहुत प्राचीन और समृद्ध है।
- इस संस्कृति ने समय-समय पर कई आक्रमण, कई संकट और कई बदलाव देखे, पर फिर भी इसकी जड़ें आज तक मजबूत हैं।
- इसका कारण है कि यह संस्कृति सत्य, अहिंसा, प्रेम, करुणा और त्याग जैसे नैतिक मूल्यों पर आधारित है।
- भारत में अनेक धर्म, जातियाँ, भाषाएँ और रीति-रिवाज हैं, फिर भी सबमें एक अद्भुत एकता दिखाई देती है। यही विविधता में एकता हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है।
लेखक कहते हैं कि भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा गुण है समन्वय। यह सबको जोड़ती है, किसी को अलग नहीं करती।
- यहाँ बौद्ध, जैन, हिन्दू, मुसलमान, ईसाई – सब रहते हैं और सबको जगह मिलती है।
- जैसे अलग-अलग नदियाँ समुद्र में आकर एक हो जाती हैं, वैसे ही सब धर्म और विचार भारतीय संस्कृति में मिलकर इसे विशाल और महान बनाते हैं।
अहिंसा इस संस्कृति का मुख्य आधार है। महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के बल पर अंग्रेजों को भारत से बाहर कर दिया। यह भारतीय संस्कृति की ताकत ही थी।
लेखक चेतावनी देते हैं कि अब जब भारत स्वतंत्र हो गया है, तो हमें अपनी आज़ादी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अगर हम स्वार्थ, भोग और विलासिता में फँस गए, तो हमारी संस्कृति कमजोर हो जाएगी।
भारतीय संस्कृति केवल बाहर के आडंबरों (सभ्यता) में नहीं, बल्कि भीतर की आत्मा और नैतिकता में है। यही कारण है कि यह आज तक जीवित और अमर बनी हुई है।
❖ संक्षेप (Summary)
- भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ – विविधता में एकता, सहिष्णुता, प्रेम, करुणा, त्याग और सत्य।
- अमरता का कारण – समय की आंधियों और विदेशी आक्रमणों के बावजूद संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के कारण अमर रही।
- अहिंसा और सत्य – हमारी संस्कृति का मूल यही है। गांधीजी ने इन मूल्यों को अपनाकर आज़ादी दिलाई।
- समन्वय की शक्ति – यह संस्कृति सभी धर्मों और विचारों को जोड़कर एकता बनाए रखती है।
- सभ्यता और संस्कृति का अंतर – सभ्यता बाहरी रूप है, संस्कृति भीतर के गुण हैं।
- चेतावनी – स्वतंत्र भारत को अपने मूल्यों को जीवित रखना है, अन्यथा केवल भौतिक प्रगति से कोई लाभ नहीं होगा।
- मुख्य संदेश – भारतीय संस्कृति की आत्मा उसके नैतिक और अध्यात्मिक मूल्यों में है। हमें इन्हें सदा बनाए रखना चाहिए।
👉 अब आपके पास –
✔ प्रश्न–उत्तर ✅
✔ शब्दशः भावार्थ ✅
✔ संक्षेप (Summary) ✅
क्या आप चाहेंगे कि मैं अब इसी अध्याय का “परीक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंशों की व्याख्या” (जैसे ‘समुद्र’ उपमा, ‘अहिंसा’ की महत्ता, आदि) भी अलग से दूँ ताकि आप उसे याद करके सीधे उत्तर लिख सकें?
कक्षा 10 हिंदी – गद्य खंड – अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” (रामधारी सिंह दिनकर) के परीक्षा में सबसे महत्वपूर्ण अंश और उनकी आसान व्याख्या दे रही हूँ। इन्हें याद कर लीजिए, सीधा उत्तर लिख पाएँगे।
✦ अध्याय – भारतीय संस्कृति (महत्वपूर्ण अंश एवं व्याख्या)
1. “भारतीय संस्कृति सागर के समान है, जिसमें अनेक नदियाँ मिलकर एक हो गई हैं।”
व्याख्या:
लेखक ने भारतीय संस्कृति की तुलना सागर से की है। जिस प्रकार अनेक नदियाँ मिलकर सागर में एकाकार हो जाती हैं, उसी प्रकार भारत की संस्कृति ने विभिन्न जातियों, भाषाओं और धर्मों को अपने भीतर समेटकर एकता बनाई है।
परीक्षा हेतु संकेत: भारत की संस्कृति = समन्वय और एकता का प्रतीक।
2. “भारतीय संस्कृति का मूल स्वर अहिंसा और सहिष्णुता है।”
व्याख्या:
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हिंसा के स्थान पर प्रेम और सहिष्णुता को महत्व देती है। यहाँ लोगों को एक-दूसरे के विचारों और आस्थाओं का सम्मान करने की शिक्षा मिलती है।
परीक्षा हेतु संकेत: अहिंसा = शक्ति, सहिष्णुता = संस्कृति की नींव।
3. “भारतीय संस्कृति का आधार आध्यात्मिकता है।”
व्याख्या:
भारतीय संस्कृति भौतिकता से अधिक आत्मा और अध्यात्म पर बल देती है। इसका मानना है कि जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि है।
परीक्षा हेतु संकेत: आध्यात्मिकता = भारतीय संस्कृति का मूल आधार।
4. “भारतीय संस्कृति ने सदैव मानव मात्र को अपना भाई माना है।”
व्याख्या:
भारतीय संस्कृति केवल भारतवासियों की ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की हितैषी है। यहाँ सभी मनुष्यों को भाई-बहन मानकर एक विश्व परिवार की भावना विकसित की जाती है।
परीक्षा हेतु संकेत: ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ = भारतीय संस्कृति का आदर्श।
5. “भारतीय संस्कृति में साधनों से अधिक साध्य को महत्व दिया गया है।”
व्याख्या:
भारतीय संस्कृति कहती है कि केवल साधन जुटाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि जीवन का असली उद्देश्य आत्मिक शांति और मानवता की सेवा है।
परीक्षा हेतु संकेत: साध्य (लक्ष्य) > साधन।
✦ परीक्षा में काम आने वाले छोटे प्रश्न
- भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएँ क्या हैं?
– सहिष्णुता, अहिंसा, आध्यात्मिकता, विश्व-भाईचारा। - लेखक ने भारतीय संस्कृति की तुलना किससे की है?
– समुद्र से। - भारतीय संस्कृति का परम लक्ष्य क्या है?
– आत्मा की शुद्धि और ईश्वर प्राप्ति।
👉 अब आपके पास महत्वपूर्ण अंश + उनकी सरल व्याख्या + परीक्षा संकेत हैं।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इस अध्याय के लिए “संभावित दीर्घ उत्तरीय प्रश्न” (Essay Type Q&A) भी तैयार कर दूँ, जो अक्सर बोर्ड परीक्षा में पूछे जाते हैं?
कक्षा 10 हिंदी – गद्य खंड – अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” (रामधारी सिंह दिनकर) के परीक्षा में पूछे जाने वाले संभावित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर दे रही हूँ। इन्हें अच्छे से याद कर लें, इससे 5-8 अंकों के प्रश्न आसानी से हल हो जाएँगे।
✦ दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर – “भारतीय संस्कृति”
प्रश्न 1. भारतीय संस्कृति को ‘समुद्र’ के समान क्यों कहा गया है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति को समुद्र के समान इसलिए कहा गया है क्योंकि जैसे अनेक नदियाँ आकर समुद्र में मिल जाती हैं और अपनी अलग पहचान खोकर समुद्र का ही हिस्सा बन जाती हैं, वैसे ही भारत की संस्कृति में विभिन्न जातियाँ, धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ मिलकर एक हो गई हैं।
भारतीय संस्कृति ने कभी किसी विचारधारा या धर्म को अस्वीकार नहीं किया, बल्कि उन्हें अपने भीतर समेट लिया। यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
प्रश्न 2. भारतीय संस्कृति का मूल स्वर अहिंसा और सहिष्णुता कैसे है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति में जीवन जीने का आदर्श मार्ग अहिंसा और सहिष्णुता है।
- यहाँ शत्रु को भी क्षमा करने की परंपरा रही है।
- गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने पूरे विश्व को अहिंसा और करुणा का संदेश दिया।
- भारतीय संस्कृति सिखाती है कि दूसरों की आस्था का सम्मान करना चाहिए।
इसीलिए इसे अहिंसा और सहिष्णुता की संस्कृति कहा जाता है।
प्रश्न 3. भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता को विशेष महत्व क्यों दिया गया है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति का मुख्य उद्देश्य केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्राप्त करना नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और ईश्वर प्राप्ति करना है।
- यह कहती है कि भौतिक वस्तुएँ नश्वर हैं, आत्मा अमर है।
- यहाँ संत-महात्माओं ने जीवन का लक्ष्य आत्मिक शांति और मोक्ष बताया है।
- “सादा जीवन, उच्च विचार” इसका आदर्श है।
इसलिए आध्यात्मिकता को भारतीय संस्कृति की नींव माना गया है।
प्रश्न 4. भारतीय संस्कृति को ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति ने मानव मात्र को अपना भाई माना है।
- इसमें केवल भारतवासी ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के लोग एक परिवार माने गए हैं।
- उपनिषदों का सूत्र “वसुधैव कुटुम्बकम्” इसका प्रमाण है।
- यह भावना बताती है कि भारतीय संस्कृति केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि सार्वभौमिक है।
इसीलिए इसे ‘विश्व-भाईचारा’ की संस्कृति कहा जाता है।
प्रश्न 5. भारतीय संस्कृति में साधनों से अधिक साध्य को महत्व क्यों दिया गया है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति का मानना है कि जीवन का असली लक्ष्य (साध्य) ईश्वर प्राप्ति और मानव सेवा है।
- साधन (धन, सुख-संपत्ति) केवल साध्य तक पहुँचने का माध्यम हैं।
- यहाँ व्यक्ति का मूल्य उसके धन से नहीं, बल्कि उसके विचारों और कर्मों से आँका जाता है।
- यही कारण है कि यहाँ संत-महात्माओं को राजाओं से भी ऊँचा स्थान दिया गया।
इस प्रकार साध्य को साधनों से अधिक महत्व दिया गया है।
✦ याद रखने योग्य बातें (Exam Tips)
- मुख्य विशेषताएँ: समन्वय, सहिष्णुता, अहिंसा, आध्यात्मिकता, विश्व-भाईचारा।
- मुख्य उपमा: समुद्र = भारतीय संस्कृति।
- मुख्य सूत्र: “वसुधैव कुटुम्बकम्।”
- लेखक: रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
👉 अब आपके पास इस अध्याय के लिए संक्षिप्त + दीर्घ दोनों प्रकार के प्रश्नोत्तर हो गए।
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बहुत अच्छा 🌸
अब मैं आपके लिए Class 10 Hindi – गद्य खंड – अध्याय 4 “भारतीय संस्कृति” (रामधारी सिंह दिनकर) का पूरा परीक्षा नोट्स सेट बना रही हूँ। इसमें आपको एक ही जगह – सारांश, भावार्थ, अंशों की व्याख्या, छोटे प्रश्न, लंबे प्रश्न, परीक्षा टिप्स – सब मिल जाएगा।
📘 परीक्षा नोट्स – “भारतीय संस्कृति”
(कक्षा 10 हिंदी – गद्य खंड, लेखक: रामधारी सिंह दिनकर)
✦ 1. सारांश
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसका समन्वय और सहिष्णुता है। यह सागर के समान है जिसमें अनेक नदियाँ मिलकर एक हो जाती हैं। यहाँ अहिंसा, प्रेम, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता को प्रमुख स्थान मिला है। भारतीय संस्कृति केवल भारतवासियों की नहीं, बल्कि समस्त मानवता की है। यह “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना से प्रेरित है।
✦ 2. भावार्थ
भारतीय संस्कृति का मूल स्वर –
- अहिंसा और सहिष्णुता
- आध्यात्मिकता
- समन्वय और एकता
- विश्व-भाईचारा (वसुधैव कुटुम्बकम्)
यह भौतिक सुख से अधिक आत्मिक शांति और ईश्वर प्राप्ति को महत्व देती है।
✦ 3. महत्वपूर्ण अंश एवं व्याख्या
-
“भारतीय संस्कृति सागर के समान है, जिसमें अनेक नदियाँ मिलकर एक हो गई हैं।”
– संस्कृति की विशेषता है कि इसने सबको अपनाकर एकता बनाई है। -
“भारतीय संस्कृति का मूल स्वर अहिंसा और सहिष्णुता है।”
– यहाँ हिंसा की जगह क्षमा और सहिष्णुता को महत्व दिया गया है। -
“भारतीय संस्कृति का आधार आध्यात्मिकता है।”
– जीवन का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और ईश्वर प्राप्ति है। -
“भारतीय संस्कृति ने मानव मात्र को अपना भाई माना है।”
– यह संस्कृति विश्व-परिवार की भावना को जगाती है। -
“भारतीय संस्कृति में साधनों से अधिक साध्य को महत्व दिया गया है।”
– असली मूल्य लक्ष्य का है, साधनों का नहीं।
✦ 4. छोटे प्रश्नोत्तर
प्र.1. लेखक ने भारतीय संस्कृति की तुलना किससे की है?
– समुद्र से।
प्र.2. भारतीय संस्कृति का मूल स्वर क्या है?
– अहिंसा और सहिष्णुता।
प्र.3. भारतीय संस्कृति का आधार क्या है?
– आध्यात्मिकता।
प्र.4. भारतीय संस्कृति का आदर्श सूत्र क्या है?
– “वसुधैव कुटुम्बकम्।”
प्र.5. लेखक कौन हैं?
– रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
✦ 5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्र.1. भारतीय संस्कृति को समुद्र के समान क्यों कहा गया है?
– इसमें विविधता का समन्वय है। जैसे नदियाँ मिलकर समुद्र में एक हो जाती हैं, वैसे ही विभिन्न जातियाँ, धर्म और भाषाएँ भारतीय संस्कृति में एकरूप हो जाती हैं।
प्र.2. भारतीय संस्कृति का मूल स्वर अहिंसा और सहिष्णुता कैसे है?
– यहाँ हिंसा की जगह प्रेम और सहिष्णुता को महत्व दिया गया। गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने इसे जीवन का आदर्श बनाया।
प्र.3. भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता को विशेष महत्व क्यों दिया गया है?
– क्योंकि यह आत्मा की शुद्धि और ईश्वर प्राप्ति पर बल देती है।
प्र.4. ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का क्या अर्थ है?
– पूरा विश्व एक परिवार है। भारतीय संस्कृति समस्त मानवता को भाई-बहन मानती है।
प्र.5. साधनों से अधिक साध्य को महत्व क्यों दिया गया है?
– भारतीय संस्कृति मानती है कि लक्ष्य (साध्य) ही महत्वपूर्ण है। धन, सुख, वैभव केवल साधन हैं, परंतु असली मूल्य साध्य का है।
✦ 6. परीक्षा टिप्स
- लेखक का नाम याद रखें – रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
- मुख्य सूत्र: समुद्र = भारतीय संस्कृति, अहिंसा = मूल स्वर, आध्यात्मिकता = आधार, वसुधैव कुटुम्बकम् = आदर्श।
- छोटे प्रश्न 2–3 अंक के लिए आते हैं।
- बड़े प्रश्न (समुद्र उपमा, अहिंसा, आध्यात्मिकता, वसुधैव कुटुम्बकम्) 5–8 अंक तक पूछे जा सकते हैं।
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