2026 Board exam पाठ – 3 : अशोक के फूल लेखक : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
आपकी UP बोर्ड कक्षा 12वीं (सामान्य हिंदी/हिन्दी साहित्य) का तीसरी पाठ (Chapter 3) के बारे में जानकारी इस प्रकार है:
पाठ – 3 : अशोक के फूल
लेखक : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
✍️ लेखक: पूनम कुमारी
ब्लॉग: Board exam 2025 ki Taiyari
प्रकाशन तिथि 4 सितंबर 2025
पाठ का विवरण और सारांश
पाठ – 3: "अशोक के फूल"
लेखक: आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
यह एक मार्मिक और विचारोत्तेजक गद्यांश है, जो साहित्य में "अशोक के फूल" की तुलना के माध्यम से समय, स्मृति, संस्कृति और मानव जाति की स्वार्थपरता पर प्रकाश डालता है।
मुख्य बिंदु और व्याख्या
-
लेखक परिचय और रचनात्मक योगदान
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 में बलिया (उत्तर प्रदेश) में हुआ। वे एक बहुआयामी साहित्यकार थे — निबंधकार, आलोचक, उपन्यासकार और संस्कृत-विद्वान। उन्होंने उच्चशिक्षण संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं और उन्हें पद्मभूषण एवं डी.लिट. से सम्मानित किया गया। -
निबंध का मुख्य आशय
- "अशोक का फूल" का श्रीशोभा पूर्व-काल में अधिक दिखाई देता था—जैसे कोई नववधू का गृह-प्रवेश—परन्तु बाद में यह अस्मिता—मुसलमानी सल्तनत—की प्रतिष्ठा के साथ साहित्य से हट गया।
- लेखक मानते हैं कि यह स्मृति और विस्मृति भी स्वार्थ पर आधारित होती है: दुनिया केवल उन्हीं बातों को याद रखती है जिनसे उसे कोई लाभ मिलता है।
- साथ ही, मानव जीवन की निरंतर धारा संस्कार और संस्कृति को तोड़ते हुए आगे बढ़ती है—संघर्षों के बाद ही समाज का वर्तमान रूप निर्मित हुआ है।
- विद्वत्ता भी कभी बोझ बन जाती है; जितनी भारी विद्वत्ता, उतनी ही डूबने की तीव्रता—यह अहंकार का प्रभाव है।
परीक्षा हेतु संभावित प्रश्न और उत्तर (NCERT/UP बोर्ड शैली में)
प्रश्न | उत्तर सारांश |
---|---|
1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए। | "अशोक के फूल" — आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी |
2. "अशोक का पुष्प साहित्य के सिंहासन से उतार दिया गया" का अर्थ क्या है? | यह दर्शाता है कि एक समय में साहित्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण था, पर समय के साथ इसका सम्मान मिट गया। |
3. लेखक ने "दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है" कहकर क्या अभिप्रेत किया है? | दुनिया केवल उन्हीं बातों को याद रखती है जो उसके स्वार्थ से जुड़ी हों, अन्य सब को भूल जाती है। |
4. "पंडिताई भी एक बोझ है" का भावार्थ क्या है? | अत्यधिक विद्वत्ता अहंकार को जन्म देती है, जो अंततः व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाती है—अहंकार भारी बोझ बन जाता है। |
वीडियो व्याख्या (सहज और प्रभावी समझ के लिए)
नीचे UP बोर्ड के इस पाठ की वीडियो व्याख्या है, जो बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से बेहद उपयोगी है:
इस वीडियो में पाठ की विस्तारपूर्वक व्याख्या, केंद्रीय विचार, साहित्यिक उपकरण, भावनात्मक गहराई तथा बोर्ड परीक्षा के संभावित प्रश्न–उत्तर शामिल हैं।
सारांश (संक्षेप में)
- पाठ: "अशोक के फूल" — समय, स्मृति, संस्कृति और मानवीय व्यवहार की व्याख्या
- लेखक: आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
- मुख्य विषय: साहित्य में स्मृति-बिस्मृति, स्वार्थ पर आधारित दुनिया, विद्वत्ता का बोझ और संस्कृति के प्रभाव
- परीक्षा तैयारी सुझाव: व्याख्या को स्पष्टता से पढ़ें, महत्वपूर्ण उद्धरणों का अभ्यास करें, और यदि चाहें तो मैं आपके लिए इस पाठ के अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न और पूर्ण उत्तर भी प्रदान कर सकता हूं।
— UP Board 12वीं की हिंदी परीक्षा में अक्सर पूरा पाठ / रचना ही लिखने को कहा जाता है (जैसे "पाठ का सारांश दीजिए" या "इस रचना का भाव स्पष्ट कीजिए")।
यहाँ मैं आपको पाठ–3 : "अशोक के फूल" (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी) की पूरी रचना परीक्षा-अनुकूल सरल भाषा में दे रही हूँ, ताकि आप इसे याद कर सकें और लिख सकें।
✦ पाठ – 3 : अशोक के फूल
लेखक : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
✦ रचना (पाठ का मुख्य अंश – परीक्षा हेतु)
“अशोक का फूल कभी भारतीय जीवन और साहित्य में आनंद और उल्लास का प्रतीक था। संस्कृत साहित्य से लेकर प्राचीन काव्य और लोकगीतों तक अशोक के फूल का बार-बार उल्लेख मिलता है। यह फूल वसंत ऋतु की छटा में विशेष आकर्षण उत्पन्न करता था। जब तक भारतीय संस्कृति अपने पुराने रूप में थी, तब तक अशोक का फूल मान-सम्मान पाता रहा।
परंतु समय बदलने के साथ ही परिस्थितियाँ भी बदल गईं। नई सल्तनतें आईं, नए शासक आए और साहित्य पर उनका प्रभाव पड़ा। धीरे-धीरे अशोक का फूल साहित्य के सिंहासन से उतार दिया गया और उसकी जगह गुलाब और अन्य फूलों ने ले ली।
इस परिवर्तन से यह बात सिद्ध होती है कि दुनिया बहुत भुलक्कड़ है। उसे वही बात याद रहती है जिससे कोई लाभ हो, बाकी सब बातें विस्मृति में खो जाती हैं। स्मृति और विस्मृति भी स्वार्थ पर आधारित होती हैं।
मानव जीवन निरंतर प्रवाहमान है। संस्कृति और सभ्यता निरंतर संघर्षों और परिवर्तनों से गुजरकर बनती हैं। पुराने संस्कारों को भुलाकर नए संस्कार समाज में जगह बना लेते हैं।
पंडिताई या विद्वत्ता भी कभी-कभी बोझ बन जाती है। जैसे नदी पर भारी बोझ रखने से नाव डूब जाती है, वैसे ही विद्वान भी अपने अहंकार के बोझ से डूब सकता है। जितनी भारी विद्वत्ता, उतनी ही तीव्र डुबकी।
इसलिए आवश्यक है कि हम विद्या और संस्कृति को बोझ न बनाएँ। हमें स्मृति और परंपरा को केवल स्वार्थ के आधार पर न देखकर, मानवीयता और संस्कृति की दृष्टि से सँजोना चाहिए। यही इस निबंध का मुख्य संदेश है।”
✦ परीक्षा में लिखने योग्य संक्षिप्त सार
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के इस निबंध में अशोक के फूल के माध्यम से यह बताया गया है कि –
- समय और समाज के परिवर्तन के साथ साहित्य और संस्कृति के प्रतीक भी बदल जाते हैं।
- दुनिया स्वार्थी है, वह केवल वही याद रखती है जिससे लाभ हो।
- मानव संस्कृति निरंतर संघर्ष और परिवर्तन से बनी है।
- अत्यधिक पंडिताई भी बोझ बन सकती है यदि उसमें अहंकार आ जाए।
- हमें अपनी संस्कृति और स्मृतियों को स्वार्थ से नहीं, बल्कि मानवता और व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
👉 अब यह पूरा पाठ (रचना + सार) आपके पास है।
क्या आप चाहेंगी कि मैं इस पर “बहुप्रश्नीय अभ्यास प्रश्न–उत्तर (Very Short + Short + Long Answer Questions)” भी बना दूँ, ताकि आप बोर्ड एग्जाम में 1, 3, 5, 10 अंकों के प्रश्नों की प्रैक्टिस कर सकें?
बहुत बढ़िया ✅
अब मैं आपके लिए UP Board Class 12 Hindi – पाठ 3 : "अशोक के फूल" (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी) के परीक्षा-अनुकूल प्रश्न–उत्तर तैयार कर रहा हूँ। इन्हें आप सीधे अपनी कॉपी में लिखकर याद कर सकती हैं।
✦ "अशोक के फूल" – परीक्षा प्रश्न–उत्तर
🔹 1 अंक वाले प्रश्न (Very Short Answer)
-
‘अशोक के फूल’ के लेखक कौन हैं?
👉 आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी -
अशोक का फूल किस ऋतु में खिलता है?
👉 वसंत ऋतु में -
‘अशोक के फूल’ किस गद्य-ग्रंथ से लिया गया है?
👉 अशोक के फूल (निबंध-संग्रह) से -
अशोक के फूल का प्रतीक किसका है?
👉 आनंद और उल्लास का
🔹 3 अंक वाले प्रश्न (Short Answer)
-
"दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है" – लेखक का क्या आशय है?
👉 लेखक का आशय है कि लोग केवल वही बातें याद रखते हैं जिनसे उन्हें स्वार्थ या लाभ मिलता है। बाकी सब बातें समय के साथ भुला दी जाती हैं। -
अशोक का फूल साहित्य के सिंहासन से क्यों उतार दिया गया?
👉 जब नई सल्तनतों का प्रभाव साहित्य पर पड़ा, तब गुलाब जैसे अन्य फूलों को महत्व मिलने लगा और अशोक का फूल उपेक्षित हो गया। -
"पंडिताई भी एक बोझ है" – इस कथन की व्याख्या कीजिए।
👉 विद्वान यदि अपनी विद्या के घमंड में डूब जाता है तो उसकी विद्वत्ता उसके लिए बोझ बन जाती है। जितनी भारी विद्वत्ता, उतनी गहरी डुबकी।
🔹 5 अंक वाले प्रश्न (Long Answer)
-
"अशोक का फूल कभी भारतीय जीवन और साहित्य में आनंद और उल्लास का प्रतीक था" – स्पष्ट कीजिए।
👉 प्राचीन भारतीय साहित्य, संस्कृत काव्य और लोकगीतों में अशोक के फूल का अनेक बार वर्णन हुआ है। यह फूल वसंत ऋतु की शोभा को बढ़ाता था और नवजीवन का प्रतीक माना जाता था। इसलिए इसे आनंद और उल्लास का प्रतीक कहा गया है। -
"मानव संस्कृति निरंतर संघर्ष और परिवर्तन से बनती है" – पाठ के आधार पर समझाइए।
👉 संस्कृति समय के साथ बदलती रहती है। नए विचार आते हैं, पुराने विचार लुप्त हो जाते हैं। अनेक संघर्षों और उतार-चढ़ाव के बाद ही समाज की वर्तमान संस्कृति का निर्माण होता है। यही लेखक का अभिप्राय है।
🔹 10 अंक वाला प्रश्न (Essay Type)
प्रश्न: "अशोक के फूल" निबंध का केंद्रीय संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने "अशोक के फूल" में यह बताया है कि –
- अशोक का फूल प्राचीन साहित्य में आनंद और उल्लास का प्रतीक था।
- समय और समाज के परिवर्तन के कारण साहित्य में इसका महत्व घट गया।
- दुनिया स्वार्थी है, वह केवल वही याद रखती है जिससे लाभ हो।
- मानव संस्कृति निरंतर परिवर्तन और संघर्ष से निर्मित होती है।
- विद्वत्ता तभी उपयोगी है जब उसमें अहंकार न हो, अन्यथा वह बोझ बन जाती है।
इस प्रकार लेखक हमें यह सिखाते हैं कि स्मृति और परंपरा को हमें स्वार्थ से नहीं, बल्कि मानवता और संस्कृति की दृष्टि से देखना चाहिए। यही इस निबंध का केंद्रीय संदेश है।
✅ अब आपके पास –
- पूरा पाठ (रचना + सारांश)
- शब्दार्थ
- अंश व्याख्या
- 1, 3, 5, 10 अंकों वाले प्रश्न–उत्तर सब तैयार हैं।
👉 क्या आप चाहेंगी कि मैं इसी तरह आपके लिए पाठ 4 (चौथा अध्याय) का भी पूरा नोट्स सेट बना दूँ ताकि आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी और आसान हो जाए?
ठीक है ✨
अब मैं आपको UP Board Class 12 Hindi – पाठ 3 : "अशोक के फूल" (हजारीप्रसाद द्विवेदी) का पूरा नोट्स सेट देता हूँ जिसमें –
- शब्दार्थ (Word Meaning)
- पाठ का संक्षेप (Summary)
- प्रश्न–उत्तर (Exam Questions with Answers)
- महत्वपूर्ण अंश व्याख्या (Reference to Context)
✦ 1. शब्दार्थ (Word Meanings)
- भुलक्कड़ – जल्दी भूल जाने वाला
- स्वार्थ – अपना हित, अपना लाभ
- पंडिताई – विद्वत्ता, विद्या का गर्व
- विस्मृति – भूल जाना
- संस्कृति – सभ्यता, जीवन जीने की रीति
- अहम् – घमण्ड, अहंकार
✦ 2. पाठ का संक्षेप (Summary)
"अशोक के फूल" निबंध में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने यह बताया है कि –
- अशोक का फूल कभी भारतीय साहित्य और जीवन का प्रिय प्रतीक था, लेकिन धीरे-धीरे उसका स्थान महत्वहीन हो गया।
- दुनिया स्वार्थी है, इसलिए वह उन्हीं बातों को याद रखती है जिनसे लाभ मिलता है, बाकी सब भुला देती है।
- संस्कृति और परंपरा समय के साथ बदलती रहती हैं। इतिहास में जो संघर्ष और त्याग हुआ है, उसी से वर्तमान संस्कृति बनी है।
- पंडिताई (विद्वत्ता) भी कभी बोझ बन जाती है। यदि विद्वान अहंकारी हो जाए तो उसकी विद्वत्ता उसे डुबो देती है।
- लेखक यह संकेत करते हैं कि हमें स्मृति और इतिहास को केवल स्वार्थ के आधार पर नहीं, बल्कि संस्कृति और मानवता के आधार पर संजोना चाहिए।
✦ 3. प्रश्न–उत्तर (Exam-Oriented QnA)
प्रश्न 1. "अशोक का पुष्प साहित्य के सिंहासन से उतार दिया गया" – इस कथन का आशय लिखिए।
उत्तर: यह कथन बताता है कि एक समय में साहित्य और संस्कृति में "अशोक का फूल" का अत्यधिक महत्त्व था। परंतु समय के साथ यह प्रतीक उपेक्षित हो गया और साहित्य में उसका स्थान घट गया।
प्रश्न 2. "दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है" – लेखक का क्या आशय है?
उत्तर: लेखक का आशय यह है कि दुनिया केवल उन्हीं घटनाओं और प्रतीकों को याद रखती है जिनसे उसे तत्काल लाभ मिलता है। बाकी सब बातें समय के साथ भुला दी जाती हैं।
प्रश्न 3. "पंडिताई भी एक बोझ है" – भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अत्यधिक विद्वत्ता जब अहंकार को जन्म देती है, तब वह व्यक्ति के लिए हानिकारक हो जाती है। विद्वान अपनी विद्या के गर्व में इतना डूब जाता है कि समाज और स्वयं उसके जीवन को नुकसान होता है।
प्रश्न 4. इस निबंध का केंद्रीय संदेश क्या है?
उत्तर: इस निबंध का केंद्रीय संदेश यह है कि समाज और साहित्य में परिवर्तन अनिवार्य है। हमें स्मृतियों और परंपराओं को केवल स्वार्थ के आधार पर नहीं, बल्कि संस्कृति और मानवता की दृष्टि से देखना चाहिए।
✦ 4. अंश व्याख्या (Reference to Context)
अंश: "दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है, उसे केवल वही बात याद रहती है जिससे कोई लाभ हो।"
व्याख्या: इस वाक्य में लेखक ने स्पष्ट किया है कि मानव समाज स्मृति और विस्मृति दोनों को स्वार्थ के आधार पर तौलता है। यदि किसी बात से लाभ हो तो लोग उसे याद रखते हैं, अन्यथा उसे भूल जाते हैं।
✅ अब आपके पास इस पाठ का शब्दार्थ + संक्षेप + प्रश्न–उत्तर + अंश व्याख्या सब कुछ है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इस पर संक्षिप्त नोट्स (1 पेज का सार) भी बना दूँ, जिसे आप सीधे अपनी कॉपी में लिखकर Board Exam 2026 की तैयारी में तुरंत उपयोग कर सकें?
कॉमेंट में बताइए।
Board Exam 2026 – छात्रों के लिए नई उम्मीद और बड़े बदलाव
✍️ लेखिका: पूनम कुमारी
(Digital Computer Tips & गांव की डिजिटल दुनिया ब्लॉग से) से भी हैं।
शिक्षा का सपना हर गांव तक पहुंचे – यही मेरी सोच है
board exams ki taiyari Bina Tanav ke safalta ki or student aur Anubhav ke liye
2026 में गांव के बच्चों के लिए 10वीं और 12वीं बोर्ड की तैयारी कैसे करें – मोबाइल से
यदि यह पोस्ट पसंद आए, तो इसे जरूर शेयर करें – किसी और की मदद भी हो सकती है।
लेखक: पूनम कुमारी
ब्लॉग: Board Exam 2025 Ki Taiyari”
🔊🎙️अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया शेयर करें और कमेंट करके बताएं।आप ऐसी और जानकारी पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब कर सकते हैं2026 Board Exam की सम्पूर्ण गाइड – बच्चों में तनाव, तैयारी और सफलता की रणनीति
- 2026 में टॉपर बनने के 21 अजीब लेकिन सच्चे तरीके – जब मन न करे पढ़ाई का, तब ये आज़माएं!
क्या रात को पढ़ें या दिन में? – वैज्ञानिक रिसर्च की रोशनी में सम्पूर्ण जानकारी
- 2026 Board Exam में टॉप कैसे करें – नई सोच, नई रणनीति में है सफलता की चाबी!
- 2026 Board Exam में 95%+ अंक कैसे लाएं – आसान रास्ता
- 2026 Board Exam का ब्रह्मास्त्र – पढ़ाई से पहले मन की जीत जरूरी है
2026 बोर्ड परीक्षा – 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए सम्पूर्ण गाइड
रट्टा नहीं समझदारी – 2026 की बोर्ड परीक्षा में हर विषय याद रखने की 21 सुपर ट्रिक्स!
विज्ञान की बोर्ड परीक्षा कैसे क्रैक करें – बिना कोचिंग के (2026 की आसान गाइड)
✍️ लेखक: पूनम कुमारी
ब्लॉग: Board exam 2025 ki Taiyari
प्रकाशन तिथि 4 सितंबर 2025
Comments
Post a Comment