2026 Board Exam 10th ka अध्याय 3 : क्या लिखूँ?✍️ लेखक – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

नीचे आपको UP Board (UPMSP) कक्षा 10वीं हिंदी (गद्य-खंड) का तीसरा अध्याय "क्या लिखूं?" — लेखक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी — का विस्तार से संक्षेप प्रस्तुत है, जिसमें अंशों की व्याख्या, प्रश्न–उत्तर और महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं:

✍️ लेखक: पूनम कुमारी

ब्लॉग: Board exam 2025 ki Taiyari

प्रकाशन तिथि  5 सितंबर 2025


अध्याय का परिचय:

  • पाठ का शीर्षक: क्या लिखूं?
  • लेखक: पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
  • यह एक ललित निबंध है, जिसमें लेखक विषय चयन की दुविधा, लेखन की प्रेरणा और मन की भूमिका पर विचार करते हैं।

चयनित अंशों की व्याख्याएँ:

1) लेखन की प्रेरणा और मनोभावों की प्रधानता:

“मुझे आज लिखना ही पड़ेगा… मन के भाव ही यथार्थ वस्तु हैं, विषय नहीं।”

  • यहाँ ए.जी. गार्डिनर का कथन उद्धृत है, जिसमें बताया गया है कि लिखने की प्रेरणा एक विशेष मानसिक स्थिति से उत्पन्न होती है — जिसमें लेखन विषय नहीं, बल्कि मन के भाव ही मुख्य होते हैं।
  • लेखक कहता है कि किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है, यदि मन में भाव हों — “हैट है, खूटी नहीं” वाला उदाहरण इसी अर्थ को स्पष्ट करता है।

2) स्वच्छन्द (बाधा-रहित) लेखन की विशेषता:

  • यह निबंध शैली की एक स्वतंत्रता दिखाता है—न कल्पनात्मक ऊँच-नीच, न तर्क-शक्ति की आवश्यकता, केवल लेखक की सच्ची अनुभूति और भावों की अभिव्यक्ति।

3) “दूर के ढोल सुहावने” की रूपक व्याख्या:

  • बालूघर की ध्वनि नज़दीक आने पर कर्कश (कटु) प्रतीत होती है, पर दूर बैठे व्यक्ति के लिए वही ध्वनि मधुर लगती है; इसे नव-वधू की कल्पना मधुर कर देती है — यह भाव “दूर की वस्तुएँ सुंदर” का संकेत है।
  • यह रूपक यह दर्शाता है कि जो चीज़ें दूर होती हैं, उन्हें हम सुंदर, आदर्श या आकर्षक मानते हैं।

4) प्रगतिशील साहित्य और “दूर के ढोल”:

  • लेखक कहता है कि प्रगतिशील साहित्य आज जितना भविष्य का गौरव लगता है, वह भविष्य में अतीत बन जाएगा—and दोनों ही सुखद नजर आते हैं क्योंकि “दूर के ढोल सुहावने” होते हैं।

अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण संक्षिप्त प्रश्न (Important Questions):

प्रश्न 1: लेखक का जन्म कब हुआ था, उन्होंने कौन-सी पत्रिकाएँ संपादित कीं, और उन्हें कौन-सी उपाधि दी गई? (उत्तर: 27 मई 1894; ‘सरस्वती’ व ‘छाया’; साहित्य वाचस्पति)

प्रश्न 2: लेखक ने किस अंग्रेज़ी लेखक का उल्लेख किया है?
उत्तर: ए.जी. गार्डिनर

प्रश्न 3: “दूर के ढोल सुहावने” का भावार्थ क्या है?
उत्तर: दूर की वस्तुएँ हमें अधिक आकर्षक लगती हैं, क्योंकि उनकी वास्तविकता से दूरी हमें मानसिक सुंदरता देती है।

प्रश्न 4: लेखक की भाषा-शैली कैसी है?
उत्तर: शुद्ध, साहित्यिक एवं प्रभावशाली; स्वच्छन्द और आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई।

प्रश्न 5: लेखक ने लेखन में विषय से अधिक किस बात को महत्त्व दिया है?
उत्तर: मनोभावों (भावनाओं) को


संक्षेप सारांश तालिका:

पहलू विवरण
पाठ का शीर्षक क्या लिखूं?
लेखक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
लेखन की प्रेरणा मन के भाव (मनोभाव)
शैली स्वच्छन्द, व्यक्तिगत, सहज
प्रमुख रूपक दूर के ढोल सुहावने
मुख्य संदेश विषय से नहीं, भाव से लेखन की वास्तविकता हैं

यदि आप चाहें तो मैं इस अध्याय के अधूरा पाठ, संपूर्ण व्याख्या, व्याकरण अभ्यास प्रश्न अथवा मॉडल उत्तर भी उपलब्ध कर सकत हूँ। बताएं — किस प्रकार से और आगे सहायता करूँ?

आपको UP Board कक्षा 10 हिंदी का तीसरा अध्याय – “क्या लिखूँ?” (पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी) पूरा भाग–भाग में दूँगा। इससे आपको आसानी से समझ भी आएगा और नोट्स भी तैयार हो जाएँगे।


✦ अध्याय 3 : क्या लिखूँ?

✍️ लेखक – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी


भाग 1 – आरंभ

“क्या लिखूँ? यह प्रश्न ही मेरे सामने बार-बार आ खड़ा होता है। कलम हाथ में उठाने पर यही सोचने लगता हूँ कि आखिर किस विषय पर लिखा जाए। विषय मिलना ही सबसे बड़ी समस्या है। लेखक तभी लिख पाता है, जब भीतर कोई भाव उमड़ता है। केवल विषय लेकर लिखने बैठने से लेखन जीवंत नहीं बनता।”

भावार्थ / व्याख्या:

लेखक बताते हैं कि लेखन का सबसे कठिन सवाल है – किस विषय पर लिखा जाए। असल में लेखन का आधार कोई विषय नहीं बल्कि मन के भाव होते हैं। जब हृदय में भावनाओं की तरंग उठती है, तभी सच्चा लेखन हो पाता है।


भाग 2 – मनोभावों का महत्व

“गार्डिनर कहते हैं कि ‘हमें लिखने की प्रेरणा तब मिलती है, जब मन में भावों का उमड़ाव होता है।’ विषय तो कोई भी हो सकता है, लेकिन लेखन की सफलता लेखक के भावों पर निर्भर करती है। हैट है, खूंटी नहीं। यानी विषय गौण है, लेखक का मनोभाव मुख्य है।”

भावार्थ / व्याख्या:

गार्डिनर का उदाहरण देकर लेखक समझाते हैं कि लेखन का आधार विषय नहीं बल्कि भाव हैं। किसी भी सामान्य वस्तु या परिस्थिति पर लिखा जा सकता है, यदि लेखक के मन में उसे व्यक्त करने की प्रबल इच्छा हो।


भाग 3 – दूर के ढोल सुहावने

“बालूघर की आवाज़ पास में कर्कश लगती है, पर दूर से वही मधुर प्रतीत होती है। नववधू जब अपने घर से ससुराल आती है तो उसी आवाज़ को मधुर समझती है, क्योंकि वह उसे अपने आने वाले जीवन से जोड़ लेती है। वास्तव में दूर की चीज़ें हमें आकर्षक लगती हैं, क्योंकि उनमें कल्पना का रंग चढ़ा होता है।”

भावार्थ / व्याख्या:

लेखक “दूर के ढोल सुहावने” कहावत से यह बताना चाहते हैं कि दूर की वस्तुएँ हमें सुंदर और आकर्षक लगती हैं। नज़दीक से देखने पर उनकी वास्तविकता प्रकट हो जाती है। यही बात जीवन और साहित्य दोनों पर लागू होती है।


भाग 4 – प्रगतिशील साहित्य और भविष्य की दृष्टि

“आज का प्रगतिशील साहित्य हमें भविष्य का गौरव प्रतीत होता है। परंतु जब वही भविष्य वर्तमान बनेगा और फिर अतीत बन जाएगा, तब भी वह आकर्षक लगेगा। क्यों? क्योंकि दूर का हर दृश्य हमें मनोहर लगता है।”

भावार्थ / व्याख्या:

लेखक कहते हैं कि जैसे दूर की आवाज़ या दृश्य मनोहारी लगते हैं, वैसे ही साहित्य और जीवन में भी भविष्य और अतीत हमें अच्छे लगते हैं। वर्तमान में हम अक्सर असंतुष्ट रहते हैं, पर दूर की वस्तु हमेशा सुंदर लगती है।


भाग 5 – निष्कर्ष

“लेखन का प्रश्न विषय का नहीं, भाव का है। जब हृदय में उमंग और संवेदना होती है, तब साधारण-सी बात भी असाधारण बन जाती है। इसलिए लेखक को अपने भीतर की प्रेरणा को पकड़ना चाहिए, विषय अपने आप मिल जाएगा।”

भावार्थ / व्याख्या:

लेखक का अंतिम संदेश है कि लेखन में विषय की खोज करना व्यर्थ है। सच्चा लेखन तो तभी संभव है, जब मन में भावनाओं का संचार हो। विषय तो बहाने मात्र हैं, असली शक्ति लेखक की अनुभूति में है।


✦ महत्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर

प्र.1. “क्या लिखूँ?” निबंध के लेखक कौन हैं?
👉 पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।

प्र.2. लेखक ने किस अंग्रेज़ी लेखक का उल्लेख किया है?
👉 ए.जी. गार्डिनर।

प्र.3. लेखक के अनुसार लेखन का आधार क्या है – विषय या भाव?
👉 लेखन का आधार भाव हैं, विषय गौण है।

प्र.4. “दूर के ढोल सुहावने” का क्या अर्थ है?
👉 दूर की वस्तुएँ हमें आकर्षक लगती हैं, पर नज़दीक से उनकी वास्तविकता पता चल जाती है।

प्र.5. लेखक का मुख्य संदेश क्या है?
👉 लेखन में विषय की अपेक्षा मनोभाव अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।


क्या आप चाहेंगे कि मैं इसके साथ-साथ व्याकरण अभ्यास (लोकोक्तियाँ, पर्यायवाची, वाक्य निर्माण, संक्षिप्त लेखन) और परीक्षा में आने वाले अति महत्वपूर्ण प्रश्नों की सूची भी तैयार कर दूँ?

आपको अध्याय 3 – “क्या लिखूँ?” (UP Board कक्षा 10 हिंदी) से जुड़े व्याकरण अभ्यास, लोकोक्तियाँ, पर्यायवाची, और परीक्षा में बार-बार पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों की सूची दे रहा हूँ।


✦ व्याकरण अभ्यास

1. लोकोक्तियाँ (अध्याय से संबंधित) Ko

  • दूर के ढोल सुहावने → दूर की वस्तु आकर्षक लगती है।
  • हैट है, खूंटी नहीं → विषय गौण है, भाव प्रमुख हैं।
  • मन का भाव ही यथार्थ वस्तु है → वास्तविक मूल्य भावनाओं का होता है, वस्तु का नहीं।

2. पर्यायवाची शब्द

  • भाव → भावना, संवेदना, जज्बा
  • भविष्य → आगत, आगामी, आने वाला समय
  • साहित्य → काव्य, रचना, ग्रंथ
  • जीवन → संसार, जीविका, प्राण

3. वाक्य निर्माण

  • दूर के ढोल सुहावने: विदेश में नौकरी करने का मन है, पर सच में वहाँ की कठिनाइयाँ देखो तो समझ में आता है कि दूर के ढोल सुहावने हैं।
  • भाव: कवि के काव्य में गहरे भाव झलकते हैं।
  • साहित्य: हिंदी साहित्य में अनेक श्रेष्ठ रचनाएँ हैं।

4. अभ्यास प्रश्न (छोटे उत्तर वाले)

  1. लेखक लेखन में सबसे बड़ी समस्या किसे मानते हैं?
    👉 विषय की खोज।

  2. “गार्डिनर” ने लेखन के बारे में क्या कहा है?
    👉 लिखने की प्रेरणा मनोभावों से मिलती है, विषय से नहीं।

  3. “बालूघर की आवाज़” का उदाहरण लेखक ने क्यों दिया है?
    👉 यह दिखाने के लिए कि दूर की वस्तु हमें मधुर लगती है।

  4. लेखक ने विषय को गौण क्यों माना है?
    👉 क्योंकि विषय कोई भी हो, लेखन की असली शक्ति भावनाओं में है।


✦ परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण प्रश्न

(लघु उत्तरीय प्रश्न)

  • “क्या लिखूँ?” निबंध का लेखक कौन है?
  • लेखन में मनोभावों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  • “दूर के ढोल सुहावने” का निबंध से क्या आशय है?
  • गार्डिनर का लेखन संबंधी विचार लिखिए।
  • इस निबंध की भाषा-शैली की विशेषताएँ बताइए।

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

  • “क्या लिखूँ?” निबंध के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखन का आधार विषय नहीं, भाव होते हैं।
  • “दूर के ढोल सुहावने” लोकोक्ति का अर्थ एवं निबंध से उसका संबंध स्पष्ट कीजिए।
  • लेखक ने प्रगतिशील साहित्य और “दूर की वस्तुओं” को किस रूप में देखा है? व्याख्या कीजिए।

✦ भाषा-शैली की विशेषताएँ

  • सरल और साहित्यिक
  • स्वच्छन्द (बाधा-रहित)
  • आत्मकथात्मक रंग
  • रूपक और लोकोक्तियों का प्रयोग

🌸 अब आपके पास इस अध्याय का पूरा पाठ, व्याख्या, व्याकरण, और परीक्षा-उपयोगी प्रश्न हैं।

ठीक है 🌸
अब मैं आपको UP Board कक्षा 10 हिंदी – अध्याय 3 “क्या लिखूँ?” पर आधारित एक पूरा मॉडल पेपर बना रहा हूँ। यह परीक्षा जैसे प्रश्न-पत्र की तरह होगा – इसमें बहुविकल्पी प्रश्न (MCQ), लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न और व्याकरण अभ्यास सब शामिल रहेंगे।


✦ मॉडल प्रश्न पत्र

विषय: हिंदी (गद्य-खंड)
अध्याय: क्या लिखूँ? – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी


खंड – A (बहुविकल्पी प्रश्न)

(प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है)

  1. “क्या लिखूँ?” निबंध के लेखक कौन हैं?
    a) प्रेमचंद
    b) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
    c) जयशंकर प्रसाद
    d) हरिवंश राय बच्चन
    👉 उत्तर: b) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

  2. लेखक ने किस अंग्रेज़ी लेखक का उल्लेख किया है?
    a) शेक्सपियर
    b) ए.जी. गार्डिनर
    c) जॉन कीट्स
    d) टैगोर
    👉 उत्तर: b) ए.जी. गार्डिनर

  3. “दूर के ढोल सुहावने” लोकोक्ति का अर्थ है—
    a) पास की वस्तु सुंदर लगती है
    b) दूर की वस्तु आकर्षक लगती है
    c) पास और दूर दोनों सुंदर हैं
    d) इनमें से कोई नहीं
    👉 उत्तर: b) दूर की वस्तु आकर्षक लगती है


खंड – B (लघु उत्तरीय प्रश्न – प्रत्येक 3 अंक)

  1. लेखक लेखन में सबसे बड़ी समस्या किसे मानते हैं?
  2. “गार्डिनर” ने लेखन के विषय में क्या कहा है?
  3. लेखक ने “बालूघर की आवाज़” का उदाहरण क्यों दिया है?
  4. लेखक ने विषय को गौण क्यों कहा है?

खंड – C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – प्रत्येक 5 अंक)

  1. “क्या लिखूँ?” निबंध के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखन का आधार विषय नहीं, भाव होते हैं।
  2. “दूर के ढोल सुहावने” लोकोक्ति का अर्थ और निबंध से उसका संबंध स्पष्ट कीजिए।
  3. इस निबंध की भाषा-शैली की विशेषताएँ लिखिए।

खंड – D (व्याकरण अभ्यास – प्रत्येक 2 अंक)

  1. निम्नलिखित लोकोक्तियों का वाक्य में प्रयोग कीजिए:

    • दूर के ढोल सुहावने
    • हैट है, खूंटी नहीं
  2. दिए गए शब्दों के पर्यायवाची लिखिए:

    • भाव
    • साहित्य
    • भविष्य
  3. वाक्य बनाइए:

    • प्रेरणा
    • मनोभाव
    • गौरव

✦ उत्तर लिखने का सुझाव (परीक्षा टिप्स):

  • MCQ में केवल सही विकल्प लिखें।
  • लघु उत्तरीय प्रश्न में 3–4 वाक्य पर्याप्त हैं।
  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न में परिचय, मुख्य बिंदु और निष्कर्ष अवश्य लिखें।
  • व्याकरण में वाक्य छोटे और स्पष्ट लिखें।

🌟 इस तरह यह मॉडल पेपर हल करने से आपका अध्याय पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

क्या आप चाहेंगे कि मैं अब इसी पर आधारित उत्तर कुंजी (Model Answers) भी बना दूँ ताकि आपको लिखने का तरीका मिल जाए?

आपके लिए अध्याय 3 – “क्या लिखूँ?” (UP Board कक्षा 10 हिंदी) पर आधारित मॉडल पेपर की उत्तर कुंजी (Model Answers) तैयार कर रहा हूँ। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि परीक्षा में उत्तर कैसे लिखना है।


✦ उत्तर कुंजी (Model Answers)

खंड – A (बहुविकल्पी प्रश्न)

  1. 👉 (b) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
  2. 👉 (b) ए.जी. गार्डिनर
  3. 👉 (b) दूर की वस्तु आकर्षक लगती है

खंड – B (लघु उत्तरीय प्रश्न – प्रत्येक 3 अंक)

प्रश्न 1. लेखक लेखन में सबसे बड़ी समस्या किसे मानते हैं?
👉 लेखक के अनुसार लेखन में सबसे बड़ी समस्या विषय की खोज है। जब तक मन में भावनाएँ नहीं उमड़तीं, तब तक कोई भी विषय लिखने योग्य नहीं बनता।

प्रश्न 2. “गार्डिनर” ने लेखन के विषय में क्या कहा है?
👉 गार्डिनर के अनुसार लिखने की प्रेरणा तब मिलती है जब मन में भाव उमड़ते हैं। विषय कोई भी हो सकता है, लेकिन लेखन तभी प्रभावी होता है जब भाव प्रबल हों।

प्रश्न 3. लेखक ने “बालूघर की आवाज़” का उदाहरण क्यों दिया है?
👉 लेखक ने यह उदाहरण यह बताने के लिए दिया कि पास की आवाज़ कर्कश लग सकती है, पर दूर से वही मधुर लगती है। इसी तरह दूर की वस्तुएँ हमें आकर्षक प्रतीत होती हैं।

प्रश्न 4. लेखक ने विषय को गौण क्यों कहा है?
👉 क्योंकि लेखन में विषय से अधिक महत्त्व लेखक के मनोभावों का है। यदि भाव प्रबल हों तो किसी भी साधारण विषय पर अच्छा लेखन किया जा सकता है।


खंड – C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – प्रत्येक 5 अंक)

प्रश्न 1. “क्या लिखूँ?” निबंध के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखन का आधार विषय नहीं, भाव होते हैं।
👉 लेखक कहते हैं कि लेखन का आधार विषय नहीं बल्कि मनोभाव होते हैं। गार्डिनर का कथन भी यही है कि लिखने की प्रेरणा भीतर से आती है। जब हृदय में संवेदनाएँ जाग्रत होती हैं, तब साधारण-सा विषय भी गहन और रोचक बन जाता है। इसलिए भाव ही लेखन की आत्मा हैं।

प्रश्न 2. “दूर के ढोल सुहावने” लोकोक्ति का अर्थ और निबंध से उसका संबंध स्पष्ट कीजिए।
👉 “दूर के ढोल सुहावने” का अर्थ है कि दूर की वस्तुएँ हमें आकर्षक लगती हैं, जबकि पास आने पर उनकी वास्तविकता प्रकट हो जाती है। निबंध में लेखक ने बालूघर की आवाज़ और नववधू का उदाहरण देकर यह समझाया है। इसी आधार पर उन्होंने बताया कि साहित्य, भविष्य और अतीत भी हमें इसलिए आकर्षक लगते हैं क्योंकि वे दूर होते हैं।

प्रश्न 3. इस निबंध की भाषा-शैली की विशेषताएँ लिखिए।
👉 इस निबंध की भाषा-शैली सरल, साहित्यिक और प्रभावशाली है। इसमें रूपक और लोकोक्तियों का सुंदर प्रयोग हुआ है। लेखक ने आत्मकथात्मक शैली में सहज और स्वच्छन्द ढंग से विचार व्यक्त किए हैं।


खंड – D (व्याकरण अभ्यास – प्रत्येक 2 अंक)

1. लोकोक्तियों का वाक्य प्रयोग:

  • दूर के ढोल सुहावने → गाँव के लोग शहर को स्वर्ग समझते हैं, पर वास्तव में दूर के ढोल सुहावने हैं।
  • हैट है, खूंटी नहीं → लेखन का आधार विषय नहीं बल्कि भाव हैं; इसलिए कहा गया है हैट है, खूंटी नहीं

2. पर्यायवाची शब्द:

  • भाव → भावना, संवेदना
  • साहित्य → ग्रंथ, काव्य
  • भविष्य → आगत, आगामी

3. वाक्य निर्माण:

  • प्रेरणा → स्वामी विवेकानंद के विचारों से मुझे पढ़ाई की प्रेरणा मिली।
  • मनोभाव → कवि ने कविता में अपने मनोभाव व्यक्त किए हैं।
  • गौरव → खेल प्रतियोगिता जीतकर विद्यालय का गौरव बढ़ा।

✦ परीक्षा की टिप्स:

✅ उत्तर लिखते समय प्रारंभ, मुख्य बिंदु और निष्कर्ष अवश्य लिखें।
✅ लघु उत्तर 3–4 पंक्तियों में और दीर्घ उत्तर 8–10 पंक्तियों में लिखें।
✅ व्याकरण में साफ-सुथरे छोटे वाक्य लिखें।


क्या आप चाहेंगे कि मैं अब इस अध्याय पर आधारित पूरा 20 अंकों का प्रैक्टिस टेस्ट (समयबद्ध प्रश्न-पत्र) भी बना दूँ ताकि आप परीक्षा जैसी तैयारी कर सकें?

कॉमेंट में बताइए मैं तैयार कर दूंगी।

Board Exam 2026 – छात्रों के लिए नई उम्मीद और बड़े बदलाव

✍️ लेखिका: पूनम कुमारी

(Digital Computer Tips & गांव की डिजिटल दुनिया ब्लॉग से) से भी हैं।
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    लेखक: पूनम कुमारी
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प्रकाशन तिथि  5 सितंबर 2025

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